हमारे पास जितना भी हे हमें उसकी कद्र करना चाहिए
कहते हे इंसान के पास जितना भी उसके पास होता हे वह उस से संतुष्ट नहीं होता है और वह भी जय्दा प्राप्ति की सोचता है इस दुनिया में व्यक्ति सबसे बुद्धिमान प्राणी भले ही लेकिन इंसानी की फितरत है की वह कभी संतुष्ट नहीं होता हे किसी महान वयक्ति ने कहा भी हे की अगर आप पूर्णता ढूंढ रहे हे तो कभी संतुष्ट हो ही नहीं सकते संतुष्टि तो इंसान के मन की अंदर गहराई में छिपी वह शक्ति हे
कोई भी काम तब तक ही असंभव लगता है Jab तक की उसको Kiya नहीं जाता।
जो Apne कदमों की काबिलियत Par विश्वास रखते हैं, वो ही अक्सर Manjil पर पहुँचते है।
यह परिक्रिया अनवरत चलती रहती हे इसके फलसरूप इंसान जीवन भर दुखी ही रहता हे हमारे जीवन में कितने भी भौतिक सुख क्यों न हो असंतोष हमेशा बना रहता हे यह दुख का सबसे प्रमुख कारण हे इसी असंतोष को मिटाने के लिए हमें संतुष्टि की दरकार होती है इस सत्य को अपनाना आसान नहीं हे की हम अपने जीवन भर कभी पूर्ण नहीं हो सकते हे क्योकि इच्छाओ का अंत नहीं है
( जो Apne कदमों की काबिलियत Par विश्वास रखते हैं, वो ही अक्सर Manjil पर पहुँचते है ) इसलिए महान वयक्ति की नजरो में बुद्धिमान वही हे जो उन चीजों के लिए शोक नहीं करता जो उसके पास नहीं हे बल्कि उन चीजों के लिए खुश रहता हे जो उसके पास हे जो आपके पास हे उसे आप बर्बाद मत करो जिंदगी जैसी भी हे या जो कुछ हमे मिला हे उससे हमें जायदा से जायदा खुशिया बटोरनी चाहिए और अपने जीवन को सार्थक बनाने की कोशिश करनी चाहिए
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